कोजाराम हत्याकांड: सहमति के बाद बहुजनों का आंदोलन स्थगित

अब आरोपियों के पक्ष में सवर्णों की रैली
कोजाराम हत्याकांड: सहमति के बाद बहुजनों का आंदोलन स्थगित

जयपुर। पश्चिमी राजस्थान के सरहदी जिले बाड़मेर के गिराब थाना क्षेत्र के असाड़ी निवासी दलित कोजाराम मेघवाल की हत्या के चौथे दिन 15 अप्रैल को शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया। इसके बावजूद मामला अभी भी शांत नहीं हुआ है। मांगों पर सहमति के बाद बहुजनों के आंदोलन स्थगित करने के दूसरे दिन से राजपूत महासभा ने सर्वसमाज के बैनर तले आंदोलन का आगाज कर दिया। राजपूत महासभा ने कोजराम हत्याकांड में गिराब थानाधिकारी नींब सिंह को निलंबित करने व एससी-एसटी सेल के डीएसपी पुष्पेंद्रसिंह आढ़ा को एपीओ करने के निर्णय का विरोध किया है। साथ ही आरोप लगाया कि कुछ लोग दबाव की राजनीति कर एक दर्जन से अधिक निर्दोष लोगों को हत्या के आरोप में फंसा रहे हैं।

16 अप्रैल से ही बाड़मेर में कोजाराम हत्याकांड के नामजद आरोपियों के पक्ष में सर्वसमाज के बैनर तले पंचायत व बैठकें चल रही है। राजस्थान में ऐसा पहले भी होता रहा है जब कहीं अनुसूचित जाति, जनजाति और मुस्लिम समाज के लोगों पर अत्याचारों के मामले बने तब नामजद आरोपियों के बचाव में सर्वसमाज का बैनर लगा कर सभाएं की गईं।

इन बातों पर बनी सहमति

कोजाराम हत्याकांड मामले में न्याय आंदोलन के अगुवा रहे एवं अम्बेडकर मेमोरियल वेलफेयर सोसायटी राजस्थान के प्रदेश उपाध्यक्ष उदाराम मेघवाल ने द मूकनायक से बात करते हुए कहा कि कोजाराम की जिस जमीन पर आरोपी अतिक्रमण कर रहे थे। घर के सामने कचरा डाल रहे थे। उस जमीन से प्रशासन ने अतिक्रमण हटा दिया है। तीन आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है। हालांकि इन्होंने राजपूत समाज से आने वाले गिराब एसएचओ की सांठ-गांठ से सरेंडर कर कह दिया कि हमला हम तीनों ने ही किया है। जबकि थाने में दर्ज एफआईआर में 16 नामजद आरोपी है।

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उदाराम ने कहा कि हम भी चाहते है कि जांच के बाद ही हत्या के शेष आरोपी गिरफ्तार किए जाएं। पुलिस को कहा कि हत्या में कोई भी निर्दोष नहीं फंसे। इसके अलावा एक करोड़ रुपया मुआवजा मांगा था। 50 लाख रुपये पर सहमति बनी है। एक संविदा नौकरी, एससी/ एसटी अत्याचार के तहत सरकारी योजनानुसार लाभ दिलाने पर सहमति बनी। उन्होंने कहा यह सहमति विश्वास पर बनी है। इसी तरह पुलिस ने कोजाराम के घर के बाहर अस्थायी पुलिस चौकी लगाई है ताकि परिवार सुरक्षित रहे।

'हमने न्याय के लिए धरना दिया वो आरोपियों को बचाने के लिए आंदोलन कर रहे हैं'

अनुसूचित जाति परिवार के सदस्य कोजाराम की दिनदहाड़े हत्या की गई। हत्या के बाद हमने 10 से 15 हजार लोगों की भीड़ के साथ जिनमें एससी, एसटी, मुस्लिम और अन्य पिछड़ी जातियों के लोगों के साथ पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने व दोषियों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन किया था। उदाराम कहते है कि यहां राजपूत समाज हत्या के नामजद आरोपियों का बचाव कर रहा है।

यह राजस्थान में तीसरी घटना है। पाली और जालौर के बाद अब बाड़मेर में दलित समाज से आने वालों की हत्या के आरोपियों के पक्ष में सर्वसमाज के नाम पर बैठक हो रही है। बाड़मेर में आरोपी पक्ष के लोगों ने खुले मंच से हमे टारगेट कर निपटाने की धमकी दी है। पुलिस की मौजूदगी में खुले रूप से नाम लेकर धमकाया गया है। यह सोशल मीडिया पर भी वायरल है।

पुलिस की लापरवाही से हुई हत्या

उदाराम मेघवाल ने द मूकनायक से बात करते हुए आरोप लगाया कि गिराब थानाधिकारी लम्बी सिंह और पुलिस उपाधीक्षक की लापरवाही के कारण ही कोजाराम की हत्या हुई है। उन्होंने कहा पीड़ित ने इससे पहले ही पुलिस को बता दिया था कि उसकी हत्या हो सकती है, लेकिन एसएचओ ने जाति के कारण आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की। इतना ही नहीं हत्या के आरोपी पक्ष के लोगों के खिलाफ पीड़ित पक्ष की और से लगभग 8 अलग-अलग मुकदमें दर्ज करवाए गए थे। पीड़ित की सुनवाई नहीं हुई। दो मुकदमों में तो सबूत होने के बावजूद एफआर दे दी गई।

आरोप है कि एसएचओ और डीवाईएसपी के इशारे पर ही सामन्तवादियों ने आरोपियों पक्ष में सभा की है। इन्हें कोजाराम की मौत पर कोई अफसोस नहीं। आरोपियों को बचाया जा रहा है। यह राजपूत बाहुल्य क्षेत्र है। क्षेत्र में जबरदस्ती कस्बे बन्द करवाये गए। अनुसूचित जाति के लोगों की दुकानें भी जबरदस्ती बन्द करवाई गईं।

खेतों से नहीं निकलने देने की धमकी

उदाराम कहते हैं कि असाड़ी गांव में नलकूप लगे हैं। पानी की इफराद है। अनुसूचित जाति के लोगों के खातेदारी खेत है। इनमें दो फसल होती हैं। अब राजपूत समाज के लोगों ने खुली चेतावनी दी है कि अनुसूचित जाति के लोगों को उनके खेतों तक नहीं जाने देंगे। ज्यादातर राजपूत समाज के खेतों से ही निकलते हैं। मनबढ़ लोग इन्हें खेतों पर नहीं जाने देंगे तो अनुसूचित जाति के लोगों के खेत पड़त रहेंगे।

यह है मामला

बाड़मेर के गिराब पुलिस थाने में दर्ज एफआईआर के अनुसार कोजाराम मेघवाल दो छोटी बेटियों के साथ 12 अप्रैल को गांव के बाहर बकरी चराने गया था। कोजाराम जैसे ही गांव के नाहर होद के लास पहुंचा तो आरोपियों ने एक राय होकर हत्या करने की नियत से धारदार हथियार सरिया, लाठी आदि से कोजाराम पर हमला कर दिया।

पिता पर हमला हुआ तो साथ में बकरी चराने गई बेटी कुमारी ममता और झमू पिता को बचाने दौड़ कर आई तो, आरोपियों ने बाल पकड़ कर उन्हें थप्पड़ मारे व डराया धमकाया। बाल पकड़ कर रोके रखा ताकि पिता तक नहीं पहुंच सके। बेटियों के सामने कोजाराम पर हथियारों से ताबड़तोड़ वार कर जमीन पर पटक दिया। कोजराराम घायल अवस्था में दर्द से कराहता रहा। बचाने की गुहार लगाता रहा। बेटियां रहम की भीख मांग कर पिता को छोड़ने की गुहार लगाती रहीं, लेकिन आरोपी हमला करते रहे। बाद में आरोपी हथियार लेकर कोजाराम के घर पहुंच गए। आवाज सुनकर सादुलाराम व छगूदेवी घर से बाहर आई तो आरोपियों ने उन्हें जातिसूचक शब्दों से अपमानित करते हुए कहा कि हमने कोजाराम को तो मार कर पटक दिया है। उसे कोई बचाने आया तो उसे भी मार देंगे। इसके बाद सादुलाराम ने जैसे तैसे फोन कर कुछ लोगों को घटना की सूचना दी।

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समाज के नेता उदाराम को भी फोन किया। तब उदाराम मेघवाल की सूचना पर पुलिस मौक़े पर पहुंची। पुलिस आने पर आरोपी कोजाराम को छोड़ कर गए। घायल अवस्था में कोजाराम को अस्पताल लेकर गए। यहां से बाड़मेर ले गए। जहां चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया। इसके बाद पुलिस ने 16 लोगों के खिलाफ हत्या सहित अन्य धाराओं में मामला दर्ज किया।

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