कर्नाटक में दलितों को मिला नया 6:6:5 फार्मूला - जानिए किसे मिला कितना आरक्षण?

कर्नाटक सरकार ने एससी समुदाय के भीतर आरक्षण का नया 6:6:5 फार्मूला लागू किया, जानिए कौन-से वर्ग को कितनी हिस्सेदारी मिली।
Karnataka Dalit Sub-Groups Clash Over Justice Nagamohan Das Commission’s Internal Reservation Report
कर्नाटक में दलित आरक्षण पर टकराव: नागमोहन दास आयोग की रिपोर्ट पर दलित-लेफ्ट और दलित-राइट आमने-सामने
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बेंगलुरु: मंगलवार रात हुई लंबी कैबिनेट बैठक में कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने अनुसूचित जाति (SC) समुदाय के लिए आंतरिक आरक्षण का नया फार्मूला तय कर दिया। अब राज्य में एससी वर्ग के भीतर मौजूद 17% आरक्षण को तीन हिस्सों में बाँटा जाएगा।

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की अध्यक्षता में हुई बैठक में निर्णय लिया गया कि सबसे पिछड़े दलित समुदायों (दलित लेफ्ट, जैसे माडिगा) को 6% आरक्षण, सामाजिक रूप से अपेक्षाकृत आगे माने जाने वाले दलित राइट (जैसे होलेया) को 6% और ‘स्पर्श योग्य’ व अन्य एससी समूहों को 5% आरक्षण मिलेगा।

सिद्धारमैया बुधवार को विधानसभा के मानसून सत्र में इस फैसले की औपचारिक घोषणा करेंगे। मुख्यमंत्री कार्यालय ने भी 6:6:5 फार्मूले की पुष्टि की है।

दलित लेफ्ट समुदायों की जीत

कैबिनेट निर्णय के बाद मंगलवार रात दलित लेफ्ट संगठनों ने सिद्धारमैया का सम्मान किया। ये संगठन लंबे समय से नागमोहन दास आयोग की सिफारिशों को लागू करने की मांग कर रहे थे।

पूर्व मंत्री और दलित लेफ्ट नेता एच. अंजनेय ने कैबिनेट बैठक से पहले कहा था – “अगर आंतरिक आरक्षण लागू नहीं किया गया तो आंदोलन होगा। सरकार को ऐसा फार्मूला लाना होगा जो सबको स्वीकार्य हो।”

कांग्रेस ने 2023 विधानसभा चुनाव से पहले आंतरिक आरक्षण लागू करने का वादा किया था। हालांकि, सिद्धारमैया अपने पहले कार्यकाल (2013–2018) में इस मुद्दे पर फैसला लेने से बचते रहे थे।

पिछले साल अक्टूबर 2024 से आंतरिक आरक्षण को लेकर अनिर्णय की स्थिति के चलते सरकारी भर्तियां रोक दी गई थीं। अब 6:6:5 फार्मूले से भर्ती प्रक्रिया फिर शुरू होने की उम्मीद है।

नागमोहन दास आयोग की सिफारिशें

जनवरी 2025 में गठित न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एच.एन. नागमोहन दास आयोग ने कर्नाटक में एससी समुदायों की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक स्थिति का अध्ययन किया। आयोग ने 4 अगस्त को अपनी अंतिम रिपोर्ट सौंपी थी, जिसे 7 अगस्त की कैबिनेट बैठक में स्वीकार कर लिया गया।

आयोग द्वारा मई से जुलाई 2025 के बीच किए गए सर्वे में 27.24 लाख एससी परिवारों और 1.07 करोड़ लोगों को शामिल किया गया। अंतिम आंकड़ा 1.05 करोड़ एससी जनसंख्या का सामने आया, जो राज्य की कुल आबादी का लगभग 17% है।

आयोग ने एससी समुदाय को पाँच श्रेणियों में बाँटने की सिफारिश की थी –

  • श्रेणी A – 59 उपजातियाँ (3.97%) → 1% आरक्षण

  • श्रेणी B (दलित लेफ्ट) – 18 उपजातियाँ (34.91%) → 6% आरक्षण

  • श्रेणी C (दलित राइट) – 17 उपजातियाँ (28.63%) → 5% आरक्षण

  • श्रेणी D (‘स्पर्श योग्य’) – 4 उपजातियाँ (26.97%) → 4% आरक्षण

  • श्रेणी E – अस्पष्ट उपजातियाँ (4.52%) → 1% आरक्षण

आयोग ने कहा कि कुछ समुदाय आरक्षण से लाभान्वित होकर आगे बढ़े हैं, जबकि कई अब भी शिक्षा और नौकरियों से वंचित हैं। रिपोर्ट में सुझाव दिया गया कि “जो भूखे हैं, उन्हें पहले खाना मिलना चाहिए। जो आगे बढ़ चुके हैं, उन्हें कुछ त्याग करना होगा।”

भाजपा का अधूरा प्रयास

पूर्ववर्ती भाजपा सरकार (2019–2023) ने भी 2022 में एससी आरक्षण 15% से बढ़ाकर 17% किया था और 2023 में आंतरिक आरक्षण का 6:5.5:4.5:1 फार्मूला घोषित किया था। लेकिन यह लागू नहीं हो सका क्योंकि उस समय अधिकार केंद्र सरकार के पास था।

यह फार्मूला ‘स्पर्श योग्य’ समूहों (जैसे बंजारा और भोवी) के बीच असंतोष का कारण बना और 2023 चुनावों में भाजपा को इसका नुकसान उठाना पड़ा।

अगस्त 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को अनुभवजन्य (empirical) आंकड़ों के आधार पर आंतरिक आरक्षण लागू करने की अनुमति दी। इसके बाद कांग्रेस सरकार ने नागमोहन दास आयोग का गठन किया।

कांग्रेस के लिए सियासी संतुलन

कर्नाटक में आंतरिक आरक्षण कांग्रेस के लिए राजनीतिक रूप से संवेदनशील मुद्दा है। पार्टी का बड़ा समर्थन दलित राइट समूह से आता रहा है, जिसमें मल्लिकार्जुन खड़गे और गृहमंत्री जी. परमेश्वर जैसे बड़े नेता शामिल हैं।

वहीं, दलित लेफ्ट समूह लंबे समय से उपेक्षा का आरोप लगाते रहे हैं और हाल के वर्षों में भाजपा की ओर झुकाव दिखा चुके हैं। कांग्रेस नेता के.एच. मुनीयप्पा इस वर्ग के प्रमुख चेहरे माने जाते हैं।

सिद्धारमैया सरकार का नया 6:6:5 फार्मूला इन दोनों वर्गों के बीच संतुलन साधने और चुनावी वादे को पूरा करने की कोशिश माना जा रहा है।

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