नौकरी नहीं केवल आश्वासन, IGDTUW के सफाई कर्मचारी भूख हड़ताल पर

नौकरी नहीं केवल आश्वासन, IGDTUW के सफाई कर्मचारी भूख हड़ताल पर

सृष्टि

संवाददाता, द मूकनायक

महार्षि वाल्मीकि जयंती के दिन इंद्रा गांधी दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी फॉर विमेन के सफाई कर्मचारी यूनिवर्सिटी के गेट के बाहर भूख हड़ताल पर बैठे. इन कर्मचारियों का कहना था कि नए टेंडर आने के कारण उन सभी को नौकरी से निकाल दिया है जिसके चलते पूरा दिन विश्वविद्यालय के मुख्य गेट पर भूख हड़ताल पर बैठे रहे। हड़ताल पर बैठे सफाई कर्मचारियों को सरकार और यूनिवर्सिटी द्वारा आश्वासन दिया गया था कि उन्हें नौकरी से नहीं निकला जाएगा।

क्या है पूरा मामला ?

IGDTUW के सफाई कर्मचारी यूनिवर्सिटी में 10-17 साल से काम कर रहे है। इस दौरान कई ठेकेदार बदले गए है। यह लोग समाज के सबसे दबे कुचले तबके से आते है। कुछ दिन पहले नए ठेकेदार के आने पर इन्हें बिना किसी नोटिस के काम से निकाल दिया गया था। जब इन्होंने अपने साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई तो इन्हें डिटेन कर लिया गया और सभी सफाई कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दी गई।

ठेकेदार और यूनिवर्सिटी प्रशासन की मिलीभगत
द मूकनायक से बात करने पर सफाई कर्मचारी संगीता ने बताया कि ठेकेदार और यूनिवर्सिटी प्रशासन की मिलीभगत होने के कारण उन्हें नौकरी से निकाला गया है। ठेकेदार ने सफाई कर्मियों को काम पर वापस रखने के लिए पाँच हजार रुपए कि माँग की थी साथ ही हर महीने तनख्वाह में से दो हजार रूपए काटने की शर्त रखी थी। कुछ और कर्मचारियों से 20 हजार रूपए कि भी मांग की गई थी। सफाई कर्मचारी दर्शन ने बताया कि ठेकेदार ने काम पर वापस रखने के लिए उनसे पांच हजार रूपए मांगे थे। पैसे मिलने के बाद रकम 20 हजार रुपए कर दी गई।

उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने किया अनदेखा
सफाई कर्मचारियों के मुताबिक वह अपनी शिकायत लेकर उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के पास भी गए थे। सफाई कर्मचारी दर्शन द्वारा किए गए स्टिंग ऑपरेशन के वीडियो भी उप-मुख्यमंत्री व श्रम मंत्री को दिए गए थे लेकिन किसी के द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई। ऐसे में कर्मचारियों का यह आरोप है कि दिल्ली सरकार द्वारा यूनिवर्सिटी और ठेकेदार कि मिली भगत को संगरक्षण दिया जा रहा है।

कोरोना काल में नहीं दिए सुरक्षा उपकरण
कुछ महिला सफाई कर्मचारियों ने हमें बताया कि ठेकेदार उन्हें महामारी के दौरान तनख्वाह काटने की धमकी दे कर काम पर बुलाया करता था। उस दौरान उन्हें कोई सुरक्षा उपकरण और यातायात सुविधाएं नहीं दी गई। एक महिला कर्मचारी ने कोरोना काल के दौरान अपनी जान भी गवाई जिसके बाद विश्विद्यालय प्रशासन द्वारा उन्हें कोई मुआवजा नहीं दिया गया है।

सफाई कर्मियों के साथ मारपीट
सफाई कर्मचारियों द्वारा भूख हड़ताल के बाद विश्वविद्यालय के प्रो-वाइस चांसलर, प्रोफेसर अश्विनी कुमार और रजिस्ट्रार, प्रोफेसर आर.के सिंह ने मीडिया के समक्ष सभी सफाई कर्मचारियों को 21 अक्टूबर , बृहस्पतिवार को वापस नौकरी पर रखने का मौखिक आश्वासन दिया था। सुबह जब सभी सफाई कर्मी यूनिवर्सिटी पहुँचे तो उनके लिए यूनिवर्सिटी के दरवाजे बंद कर दिए गए। पुरुष सफाई कर्मचारी 21 अक्टूबर की सुबह मुख्यमंत्री आवास अपनी शिकायत लेकर पहुँचे थे, जहाँ उनके साथ मारपीट की गई और उन्हें डिटेन कर मोरिस नगर थाने ले जाया गया।

ठेका कामगारों को नियमित करने का चुनावी वादा
आम आदमी पार्टी के 2020 के चुनावी घोषणा पत्र में ठेका कामगारों को नियमित करने का वादा किया था। साथ ही पूर्व श्रम मंत्री गोपाल राय ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कई बार इस बात का जिक्र किया है कि किस तरह ठेकेदार द्वारा मजदूरों का शोषण किया जाता है।

सफाई कर्मचारियों की दिल्ली सरकार से मांग है कि मुख्यमंत्री अपने चुनावी वादे को पूरा कर ठेका प्रणाली में काम कर सभी सफाई कर्मचारियों को नियमित नियुक्ति दे।

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