जयपुर। राजस्थान के बारां जिले में सवर्ण जाति के लोगों द्वारा उत्पीड़न करने से आहत 250 दलितों ने हिन्दू धर्म त्यागने की घोषणा की है। इन परिवारों ने घरों में लगी हिन्दू देवी-देवताओं की प्रतिमा व चित्र निकालकर सामूहिक रूप से बैथली नदी किनारे पहुंच कर पानी में विसर्जित कर दिए। सभी ने बाबा साहब भीमराव आंबेडकर की 22 प्रतिज्ञा दोहराते हुए बौद्ध धम्म स्वीकार कर लिया है।
क्यों छोड़ना पड़ा हिन्दू धर्म?
द मूकनायक से भूनोल गांव निवासी 32 वर्षीय राजेन्द्र पुत्र घनश्याम वर्मा ने बताया कि, बारां जिले के बापचा थाना क्षेत्र के भूनोल गांव में नवरात्र में माता जी की आरती में शामिल हुआ था। इस बात से नाराज आरोपी लालचंद लोधा व राहुल शर्मा सहित अन्य लोगों ने जातिसूचक शब्दों से अपमानित कर मारपीट की। राजेन्द्र बताते हैं कि, "यह लोग जब हमें हिन्दू मानते ही नहीं। मंदिरों में पूजा करने से रोकते हैं तो फिर ऐसे हिन्दू धर्म में रहकर क्या करेंगे। इसीलिए हमारे गांव भूनोल के 250 लोगों ने गत शुक्रवार 21 अक्टूबर को बाबा साहब भीमराव आंबेडकर की 22 प्रतिज्ञाओं के साथ बौद्ध धम्म अपना लिया।" राजेन्द्र ने आगे बताया कि, "हमने हमारे घरों से हिन्दू देवी-देवताओं की प्रतिमा व चित्र निकाल कर नदी में विसर्जित कर दिए।" राजेंद्र ने स्थानीय थाना पुलिस पर भी आरोप लगाते हुए बताया कि उसके साथ मारपीट करने वाले सवर्ण जाति के आरोपी राहुल शर्मा का नाम पुलिस ने रिपोर्ट में नही लिखने दिया। जबकि वह बार-बार आरोपी राहुल शर्मा का नाम बता रहा था।
जिला बैरवा महासभा युवा मोर्चा बारां शाखा छबड़ा के अध्यक्ष बालमुकंद बैरवा बताते हैं कि, "राजस्थान में हर दिन दलितों पर अत्याचार हो रहा है। कानून व्यवस्था खत्म हो चुकी है। बारा जिले के बापचा में माता जी की आरती में शामिल होने मात्र पर बैरवा समाज के दलित युवकों के साथ मारपीट की गई। इतना ही नहीं पीड़ित राजेन्द्र ने स्थानीय थाना पुलिस पर सवर्ण जाति के एक स्थानीय जनप्रतिनिधि के पति का रिपोर्ट में नाम नहीं लिखने दिया। उसने उच्चाधिकारियों को भी शिकायत दी थी, लेकिन दलित होने के कारण उसकी सुनवाई नहीं हुई। अब आरोपी दलित परिवार को जान से मारने की धमकी दे रहे हैं, लेकिन पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर रही। इससे बहुजन समाज में आक्रोश है।"
बैरवा बताते हैं कि, "अत्याचार से आहत दलित संगठनों ने शुक्रवार को भूनोल गांव में सरकार के खिलाफ आक्रोश रैली निकाली। गांव के सभी दलित अपने घरों से हिन्दू देवी-देवताओं के चित्र व प्रतिमा हाथों में लेकर रैली के रूप में बेथली नदी किनारे पहुंचे। यहां सभी ने हिन्दू देवी-देवताओं की मूर्ति का नदी में विसर्जन कर बौद्ध धम्म अपना लिया।"
"दलित परिवार को लगातार जाने से मारने व गांव से बाहर निकालने की धमकियां दी जा रही हैं। अगर आरोपी को जल्द ही गिरफ्तार नहीं किया गया तो उपखंड कार्यालय पर विशाल प्रदर्शन किया जाएगा।" बैरवा ने बताया। उन्होंने राज्य में कानून व्यवस्था ठप होने व दलितों पर अत्याचार के मामले बढ़ने के आरोप लगाए। इस दौरान रमेश मेरोठा, बद्रीलाल बैरवा, छीतरलाल बैरवा, पवन, रामहेत बैरवा व महेंद्र मीणा आदि मौजूद रहे।
इस पूरे घटनाक्रम पर बावचा थाने में दर्ज प्रकरण की जांच कर रही छबड़ा पुलिस उपाधीक्षक पूजा नागर से द मूकनायक ने बात की तो उन्होंने राजेन्द्र वर्मा से मारपीट के समय राहुल शर्मा के मौजूद होने की बात से साफ इंकार कर दिया। "राजेन्द्र से मारपीट लालचंद लोधा ने की थी। वहां राहुल शर्मा मौजूद नहीं था। जांच के दौरान किसी भी गांव वाले ने राहुल की मौजूदगी को लेकर बयान नहीें दिया है। हम निष्पक्ष जांच कर रहे हैं," पुलिस अधिकारी ने बताया।
प्रताड़ना से 250 लोगों के हिन्दू धर्म त्यागने की बात पर पुलिस उपाधीक्षक छबड़ा पूजा नगर ने कहा कि, "वहां 250 लोग मौजूद नहीं थे। केवल 12 लोगों ने हिन्दू धर्म त्याग कर बौद्ध धम्म अपनाने की बात कही है। इनमें 9 लोग राजेन्द्र के परिवार के व तीन गांव के अन्य लोग है। रैली में ज्यादातर बाहर के लोग थे।"
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