तमिलनाडुः वॉटर टैंक में डाला मानव मल, टैंक से दलित बस्तियों में सप्लाई होता था पानी

तमिलनाडु पेरियार आंदोलन का गढ़ माना जाता है। इसी तमिलनाडु में पेरियार आंदोलन के कई दशक बीत जाने के बाद भी एक गांव में जातीय भेदभाव चरम पर है। इस गांव में दलित समुदाय के लिए बनी पानी की टंकी में मानव मल फेंका जा रहा था। गांव के होटलों में अनुसूचित जाति के लोगों के लिए चाय के गिलास अलग रखे जाते हैं।
तमिलनाडुः वॉटर टैंक में डाला मानव मल, टैंक से दलित बस्तियों में सप्लाई होता था पानी

तमिलनाडु पेरियार आंदोलन का गढ़ माना जाता है। इसी तमिलनाडु में पेरियार आंदोलन के कई दशक बीत जाने के बाद भी एक गांव में जातीय भेदभाव चरम पर है। इस गांव में दलित समुदाय के लिए बनी पानी की टंकी में मानव मल फेंका जा रहा था। गांव के होटलों में अनुसूचित जाति के लोगों के लिए चाय के गिलास अलग रखे जाते हैं। दलितों को मंदिर परिसर में जाने की अनुमति नहीं है।

पानी की टंकी में मल डालने की सूचना पर पुडुकोट्टई की कलेक्टर कविता रामू और जिला पुलिस प्रमुख वंदिता पांडे ने घटनास्थल का दौरा किया। इस मामले में पुलिस जांच कर रही है।

जानिए क्या है पूरा मामला

तमिलनाडु के मध्य में पुडुकोट्टई में इरायुर गांव आता है। इस गांव में दलितों की आबादी अधिक है। लोगों के घरों में पानी सप्लाई के लिए 10 हजार लीटर की पानी की टंकी बनी हुई है। इससे लगभग 100 दलित परिवारों को पानी की सप्लाई होती है।

क्षेत्रीय ग्रामीणों ने बताया कि हाल के दिनों में गांव के कई बच्चे बीमार पड़ गए थे। डॉक्टरों के कहने पर पानी की सप्लाई की जांच करवाई गई। पानी दूषित आ रहा था। इसपर पानी की टंकी को कुछ युवक टैंक पर चढ़ गए और अंदर जांच की। ऊपर का पानी पूरा पानी पीला पड़ गया था।

क्षेत्र के एक राजनैतिक कार्यकर्ता मोक्ष गुनावलगन ने कहा- "पानी की टंकी के अंदर बड़ी मात्रा में मल फेंका गया है। पानी गहरा पीला हो गया था। इसके बारे में जाने बिना एक हफ्ते से लोग इस पानी को पी रहे थे। जब बच्चे बीमार हुए, तभी सच्चाई सामने आई।"

जिला कलेक्टर और पुलिस को दी गई सूचना

दूषित पानी की सूचना पुलिस और जिला कलेक्टर को दी गई। इस सूचना पर बीते मंगलवार को जिला कलेक्टर ने मध्य तमिलनाडु के इरायुर गांव का दौरा किया। गांव की 10,000 लीटर की पानी की टंकी में भारी मात्रा में मानव मल डालने की पुष्टि हुई। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि जिम्मेदार कौन है। पिछले कुछ दिनों में पानी की टंकी के चारों ओर की बाड़ खोल दी गई थी।

दलितों के लिए 3 हजार लीटर पानी के टैंक की व्यवस्था की गई

इस घटना के बाद जिला कलेक्टर ने पास में ही मौजूद 3 हजार लीटर की पानी की टँकी से ही दलितों के लिए पानी की सप्लाई की व्यवस्था भी की।

क्या बोले जिम्मेदार

इस मामले को लेकर जिला कलेक्टर कविता रामू ने बताया- "जब युवक टैंक पर चढ़े, तो उन्होंने ढक्कन को खुला पाया। किसी ने भी किसी को टंकी पर चढ़ते हुए और मैला पानी की टंकी में डालते हुए देखने की बात नहीं कही।"

स्थानीय लोगों का कहना है कि इलाके में जातिगत भेदभाव गहरा है। उन्हें कभी भी गांव के मंदिर में जाने की अनुमति नहीं दी गई। गांव की चाय की दुकान में आज भी दलितों के लिए अलग तरह के गिलास हैं।

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