गुजरात: हाईवे किनारे शव के अंतिम संस्कार को मजबूर वाल्मिकी समाज!

जातीय भेदभाव की भयावह तस्वीर आई सामने, वाल्मीकि समाज से होने के कारण श्मशान में शव के अंतिम संस्कार के लिए नहीं देते अनुमति, अनुसूचित जाति के लोगों को उठानी पड़ती है परेशानी।
हाइवे किनारे शव का अंतिम संस्कार करने के लिए गड्ढा खोदते परिजन
हाइवे किनारे शव का अंतिम संस्कार करने के लिए गड्ढा खोदते परिजन

गुजरात। पीएम नरेन्द्र मोदी के गृह राज्य गुजरात के अहमदाबाद से जातीय उत्पीड़न व भेदभाव का भयावह मामला सामने आया है। यहां श्मशान की भूमि उपलब्ध नहीं होने पर वाल्मीकि समाज के लोगों को शव के अंतिम संस्कार करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसका एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस मामले को लेकर ग्रामीणों ने मुख्य विकास अधिकारी को पत्र लिखकर जमीन मुहैया कराने की मांग की है।

जानिए क्या है पूरा मामला ?

गुजरात के अहमदाबाद के ढोलाका तालुक में भवनपुरा गांव है। ढोलाका तालुक 65 गांव आते हैं। भवनपुरा की आबादी 1100 लोगों की है। भवनपुरा के आस-पास के गांव लगभग 5 किमी दूर हैं। भवनपुरा के पास बेगुवा गांव 7 किमी है। जानकारी के मुताबिक भवनपुरा की रहने वाली महिला दया के घर 5 मई को अनीता (18) नामक युवती की मौत हो गई थी। वह लंबे समय से बीमार चल रही थी।

ग्रामीण बताते हैं पहले गांव में श्मशान घाट हुआ करता था। वह एक व्यक्ति की निजी सम्पत्ति थी। अब उसने अपनी जमीन पर अंतिम संस्कार के लिए मना कर दिया। गांव में श्मशान के लिए जगह उपलब्ध नहीं हो रही थी। लोगों ने काफी मशक्कत की, लेकिन किसी ने दो गज जमीन तक नहीं दी। इस कारण भवनपुरा से सटे हुए हाईवे के किनारे लोगों ने शव दफन कर दिया। इसका वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

समस्या को लेकर नवसर्जन ट्रस्ट के कीर्ति राठौड़ ने विकास अधिकारी को पत्र लिखकर श्मशान के लिए जमीन उपलब्ध कराने की मांग की है। राठौड़ का कहना है यह संविधान के आर्टिकल 14, 15,17,19 व 21 का उल्लंघन है। इसके साथ ही मानवाधिकार और अनुसूचित जाति के लोगों के साथ एक तरह का भेदभाव भी है।

क्या कहते है जिम्मेदार?

इस मामले में जिलाधिकारी कार्यालय द्वारा ग्रामीणों से सम्पर्क किया गया है। ग्रामीणों को अंतिम संस्कार के लिए जल्द ही जमीन उपलब्ध कराने की बात कही गई है।

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