राजस्थान: कोटा में मनबढ़ बेखौफ, चेतावनी देकर दलित परिवार पर दोबारा हमला

कानून व्यवस्था पर उठ रहे सवाल, आईजी ऑफिस के बाहर भीम आर्मी का प्रदर्शन
भीम आर्मी कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को पुलिस महानिरीक्षक कोटा कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया
भीम आर्मी कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को पुलिस महानिरीक्षक कोटा कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया

जयपुर। राजस्थान में दलितों पर सुनियोजित हमले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। ताजा मामला कोटा जिले के कनवास पुलिस थाना इलाके से सामने आया है। यहां बदमाशों ने एक भीम आर्मी कार्यकर्ता पर जानलेवा हमला किया है। हमले में घायल किशनचंद बैरवा का अस्पताल में उपचार चल रहा है। शरीर में जगह-जगह गम्भीर चोटों के साथ पैर में फ्रेक्चर भी है। 

किशनचंद बैरवा भीम आर्मी कार्यकर्ता होने के नाते समाज सेवा करता है, साथ ही परिवार का पेट पालने के लिए गांव-गांव घूम कर चूड़ियाँ बेचता है। किशनचंद पर हमले से पूर्व 8 मई को इन्हीं आरोपियों ने उसके बेटे विशाल व मौसी के साथ मारपीट कर जातिसूचक शब्दों से अपमानित किया था। उस वक्त पीड़ित विशाल की शिकायत पर कनवास थाना पुलिस ने जांच के बाद 10 मई को धर्मेन्द्र पुत्र दुर्गाशंकर धाकड़ निवासी हिंगोंनिया, दीपक पुत्र गौरधन धाकड़ निवासी जगुलपुरा, रवि पुत्र देवलाल धाकड़ निवासी बालाकुण्ड थाना कुन्हाड़ी निवासी कोटा के खिलाफ मारपीट व अनुसूचित जाति, जनजाति अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी।

विशाल बैरवा के मामा हेमंत ने द मूकनायक को बताया कि 10 मई को पुलिस थाने में प्रकरण दर्ज होने के बाद उक्त आरोपियों ने विशाल के पिता को पुलिस की मौजूदगी में धमकी दी थी कि एक महीने के अंदर हाथ पैर तोड़ देंगे। आरोपियों ने घटना को एक महीना होने से पहले ही अपना कथन पूरा कर किशनचंद बैरवा पर हमला कर दिया। 

चेतावनी देकर दलित परिवार पर दोबारा हमले को लेकर द मूकनायक ने महानिरीक्षक पुलिस रेंज कोटा प्रसन्न कुमार खमेसरा से बात की। इस पर आईजी ने कहा कि हम इस मामले में कार्रवाई कर रहे हैं। जो भी हमले का दोषी होगा उसे गिरफ्तार किया जाएगा।

कोटा में भीम आर्मी कार्यकर्ताओं का विरोध प्रदर्शन

दलितों पर सुनियोजित हमलों के विरोध में भीम आर्मी भारत एकता मिशन संगठन कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को कोटा शहर में पुलिस महानिरीक्षक कोटा कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। भीम आर्मी कोटा जिलाध्यक्ष रघुराज वर्मा के नेतृत्व में पुलिस महानिरीक्षक कोटा को हस्ताक्षर युक्त ज्ञापन सौंप कर हमले के नामजद आरोपियों को अविलम्ब गिरफ्तार करने की मांग की है। 

भीम आर्मी कोटा जिलाध्यक्ष रघुराज वर्मा ने बताया कि दो जुलाई को धर्मेंन्द, रवि और दीपक धाकड़ ने पहले 8 मई को किशनचंद बैरवा के पुत्र विशाल बैरवा और उसकी मौसी के साथ मारपीट की थी। उक्त तीनों नामजद आरोपियों के खिलाफ पहले से मारपीट और अनुसूचित जाति जनजाति अधिनियम के तहत कनवास थाने में मुकदमा पंजीबद है। अब इन्हीं आरोपियों ने कनवास थाना क्षेत्र के गोलपुर निवासी किशनचंद उर्फ हंसराज बैरवा पर जानलेवा हमला किया है। 

किशनचंद बैरवा के पुत्र विशाल ने बताया कि 8 मई को उन पर हमला हुआ तब कनवास पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। उस मामले में पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। इसलिए आरोपियों के हौंसले बुलंद हैं। आरोपियों ने अब उसके पिता पर जान से मारने की नीयत से हमला किया है। पिता अस्पताल में भर्ती हैं। आरोप यह भी है कि उक्त आरोपियों को कनवास थाने के कुछ पुलिस वालों का सरंक्षण प्राप्त है। इस लिए उन्होंने चेतावनी देकर दोबारा जानलेवा हमला किया है।  

यह घटना हुई दो जुलाई को 

हमले के बाद कनवास के राजकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में भर्ती किशनचंद (45) पुत्र रामगोपाल बैरवा निवासी जुगलपुरा थाना कनवास जिला कोटा ने पुलिस पूछातछ में पर्चाबयान में कहा कि दो जुलाई को रात 8 बजे की बात है। वह गोपालपुरा गांव से चूड़ियाँ बेच कर खुद की छोटी लोडिंग गाड़ी से अपने गांव आ रहा था। रास्ते में घर पहुंचने से पहले ही आरोपियों ने सरकारी स्कूल के पास रोक लिया। महेन्द्र धाकड़, दीपक धाकड़ और रवि धाकड़ अपने तीन चार अन्य साथियों के साथ आए और बोलेरो जीप को पीड़ित के वाहन के आगे लगाकर रोक लिया।

आरोपियों ने सबसे पहले फरियादी के लोडिंग वाहन पर सामने से हमला किया। इससे शीशा टूट गया। इसके बाद वाहन से नीचे उतार लिया और नीचे पटक कर गन्डासी व लकड़ियों से मारपीट की जिससे पीड़ित के शरीर में जगह जगह गम्भीर चोटे आई है। आरोपी पीड़ित को मृत समझ कर छोड़ कर भाग गए। बाद में परिजनों ने अस्पताल में भर्ती कराया है। पुलिस ने पर्चाबयान के आधार पर उक्त आरोपियों के खिलाफ जानलेवा हमला करने सहित वाहन में तोड़फोड़ करने व अनुसूचित जाति जनजाति अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर लिया।  

हस्ताक्षर भी नहीं कर पाया पीड़ित

आरोपियों ने इतनी बेरहमी से मारपीट की है कि पीड़ित के हाथ पैर ठीक से काम नहीं कर रहे हैं। यही वजह है कि पुलिस कार्रवाई के दौरान किशनचंद हस्ताक्षर भी नहीं कर पाया था। बाद में पर्चाबयान पर अंगूठा निशानी लगाई। पुलिस ने खुद इस बात को स्वीकारा है कि पीड़ित के हाथ पर घाव होने से वह हस्ताक्षर नहीं कर पाया। 

दो आरोपियों को किया डिटेन

भीम आर्मी कार्यकर्ता पर हमले के विरोध में कोटा आईजी कार्यालय के बाहर भीम आर्मी के प्रदर्शन की भनक लगते ही पुलिस सक्रिय हो गई। पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए दो नामजद आरोपियों को डिटेन किया है। प्रकरण  की जांच कर रहे सांगोद के पुलिस वृताधिकारी राजूलाल मीना ने बताया कि हमले के बाद पुलिस ने पीडि़त के पर्चाबयान के आधार पर तत्काल प्राथमिकी दर्ज कर ली थी। हमने दो आरोपियों को डिटेन कर लिया है। मामले की जांच कर रहे हैं। जो दोषी होगा कार्रवाई की जाएगी।  

वाहन में की तोडफ़ोड़
वाहन में की तोडफ़ोड़

पहले भी हुई थी प्राथमिकी दर्ज

किशनचंद बैरवा के परिवार पर पहले भी आरोपी हमला कर चुके हैं। 8 मई को पुत्र विशाल (20) ने कनवास पुलिस थाने में एक परिवाद दिया था। प्रार्थी ने पुलिस को लिखित परिवाद देकर बताया कि था कि वह अपनी मौसी को लेकर जा रहा था। रास्ते में दो वाहन खड़े थे। जगह की कमी से दूसरा वाहन नहीं निकल पा रहा था।

इस पर प्रार्थी ने वाहन चालकों से रास्ते से वाहनों को हटाने की बात कही थी। इससे नाराज होकर उक्त आरोपियों ने अपने अन्य सार्थियों के साथ मिलकर उस वक्त उसके और उसकी मासी के साथ मारपीट की थी। पुलिस ने जांच कर घटना के दो दिन बाद प्राथमिकी दर्ज कर थी। विशाल ने आरोप लगाया कि आरोपियों की पुलिस से सांठ गांठ होने से उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई।  

पीड़ितों की आवाज उठाने वालों पर हो रहे हमले

राजस्थान में सुनियोजित तरीके से दलितों पर लगातार हो रहे हमलों को लेकर द मूकनायक ने भीम आर्मी प्रदेश प्रभारी अनिल धेनवाल से बात की। धेनवाल ने बताया कि देश भर में दलितों, पिछड़ो और मुस्लिम समुदायों पर हमले बढ़े हैं। खास कर दबे कुचले लोगों की आवाज उठाने वालों को टारगेट किया जा रहा है। भीम आर्मी चीफ पर भी हमला किया गया। राजस्थान में जगह-जगह ऐसे छोटे-छोटे कार्यकर्ताओं पर भी हमले हुए जो समाज की आवाज बनने लगे थे। कुछ  लोगों की हत्या तक की गई है।

उन्होने कहा कि इन हमलों के पीछे कहीं ने कहीं पुलिस-प्रशासन का ढ़ुलमुल रवैया और राजनीतिक सरंक्षण है। कोटा के कनवास में पहले 8 मई को किशनचंद बैरवा के बेटे के साथ मारपीट की गई। फिर चेतावनी देकर बाकायदा किशनचंद पर हमला हुआ। यदि पुलिस ने 8 मई की घटना में गम्भीरता से कार्रवाई करती तो आज किशनचंद पर जानलेवा हमला नहीं होता। पिता-पुत्र पर हमला करने वाले एक ही हैं। उन्होंने कहा कि राजस्थान में बीते चार वर्षों में दलित, आदिवासी और मुस्लिमों पर हमले बढ़े हैं। इन समुदायों की आवाज उठाने वालों को भी टारगेट किया गया है। 

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