स्टोरी इम्पैक्ट: अब मंदिर के बाहर फिर से पूजा सामग्री बेंच सकेगा दलित व्यक्ति, जानिए क्या था पूरा मामला

पुलिस और बहुजन संगठन के लोगों की मौजूदगी में कोटा के बपावर थाना क्षेत्र के एक मंदिर के बाहर पूजा सामग्री की दुकान पुनः स्थापित की गई। द मूकनायक ने रामप्रसाद के रोजगार की व्यथा को प्रमुखता से प्रकाशित किया था।
अपनी दुकान के साथ 55 वर्षीय रामप्रसाद मेघवाल
अपनी दुकान के साथ 55 वर्षीय रामप्रसाद मेघवालफोटो- अब्दुल माहिर, द मूकनायक
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जयपुर। राजस्थान में जाति-आधारित अत्याचार के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। कभी मूछ रखने पर तो कहीं घोड़ी चढ़ने पर जाति के आधार पर हमले होते रहे हैं। इसके अलावा, पानी पीने के बहाने तो कभी किसी और बहाने से मारपीट व हत्या तक की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। अब अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व पिछड़ों के रोजगार पर भी हमला होने लगा है।

गत 27 दिसम्बर को भी कोटा जिले के बपावर थाना क्षेत्र के लसेड़िया कला गांव के पास मंदिर परिसर के बाहर 55 वर्षीय रामप्रसाद मेघवाल की दुकान यह कहकर तोड़ दी गई थी कि, "तुम यहां (मंदिर के बाहर) दुकान लगाओगे तो हम क्या करेंगे?" यहां रामप्रसाद को उसकी जाति की वजह से अपमानित किया गया था।

अचानक बेरोजगार हुए रामप्रसाद मेघवाल की पीड़ा को द मूकनायक ने भी प्रमुखता से उठाते हुए पुलिस व प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े करते हुए अनुसूचित जाति के 55 वर्षीय व्यक्ति के रोजगार छीनने का मुद्दा उठाया था। इस पर पुलिस ने तीन नामजद आरोपियों के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज कर जांच शुरू की थी।

'द मूकनायक न्यूज का धन्यवाद'

आजाद समाज पार्टी कोटा जिला संयोजक अतहर मिर्जा ने द मूकनायक को धन्यवाद देते हुए कहा कि, "लसाड़िया गांव के रामप्रसाद मेघवाल की व्यथा द मूकनायक न्यूज में प्रकाशित नहीं होती तो उसे पुनः रोजगार नहीं मिलता।"

मिर्जा ने कहा कि, द मूकनायक में न्यूज आने के बाद उन्हें इस घटना की जानकारी मिली थी। इसके बाद उन्होंने अन्य बहुजन सामाजिक संगठनों के साथ मिलकर सांगोद एसडीएम व पुलिस उपाधीक्षक से अलग-अलग मुलाकात कर न्याय की गुहार लगाई थी। तब से ही आजाद समाज पार्टी जिला संयोजक अतहर मिर्जा भी रामप्रसाद मेघवाल का रोजगार पुनः स्थापित करवाने के लिए प्रशासन से लगातार संपर्क में थे। इसमें उन्हें सफलता भी मिली है।

अपनी दुकान के साथ 55 वर्षीय रामप्रसाद मेघवाल
दलित दुकानदार से कहा-तुम यहां दुकान लगाओगे तो हम क्या करेंगे

एसडीएम ने भी मामले को गम्भीरता से लिया था

मंदिर परिसर के बाहर मेघवाल समाज के व्यक्ति की जाति के आधार पर उसके दुकान में तोड़फोड़ करने, और रोजगार छिनने की खबर द मूकनायक में प्रकाशित होने के बाद सांगोद उपखण्ड अधिकारी राजेश डागा ने भी उक्त मामले को गम्भीरता से लेते हुए पुलिस को उचित कार्रवाई करते हुए बेरोजगार हुए व्यक्ति का रोजगार पुनः स्थापित करने के आदेश दिए थे।

यह था मामला

राजस्थान के कोटा जिले के बपावर थाना इलाके के लसेड़िया कला गांव में स्थित लंकेश्वर हनुमान जी मंदिर के बाहर रामप्रसाद मेघवाल ने पूजा सामग्री बेचने के लिए अस्थायी दुकान लगा रखी थी। पीड़ित रामप्रसाद मेघवाल के अनुसार वह मंदिर के बाहर टेबल लगा कर पूजा का सामान बेचता था। इस परिसर में वह मेघवाल जाति का अकेला व्यक्ति है जो पूजा सामग्री बेचता है। उसके अलावा आधा दर्जन अन्य लोगों की भी दुकानें हैं। 27 दिसम्बर को वह बपावर शहर में पूजा सामग्री लेने गया था। पीछे से मंदिर समिति अध्यक्ष नन्दकिशोर मेहता की सहमति से परिसर में पूजा सामग्री की दुकान लगाने वाले राधेश्याम सुमन व शांतिलाल मेहता ने प्रार्थी की दुकान को फेंक दिया। आरोपियों ने जातिसूचक गालियां देते हुए कहा कि "तुम यहां दुकान लगा लोगे तो हम क्या करेंगे?" आरोप था कि यह कहते हुए उसकी दुकान में तोड़फोड़ कर उसे फेंक दिया गया था।

पीड़ित के पुत्र कृष्ण मुरारी मेघवाल ने द मूकनायक को बताया कि द मूकनायक के खबर प्रकाशन व बहुजन संगठन से जुड़े अतहर मिर्जा, बंटी रैगर आदि के सहयोग से उसके पिता को पुनः रोजगार मिल गया है। अब वह पहले की तरह दुकान लगा कर पूजा सामग्री बेच रहे हैं, लेकिन अभी तक आरोपी गिरफ्तार नहीं हुए हैं। उन्होंने किसी से राजीनामा नहीं किया है। वह चाहते हैं कि उसके पिता को जातिसूचक शब्दों से अपमानित कर दुकान में तोड़फोड़ करने वाले गिरफ्तार हो। घटना के समय नकद राशि व समान का जो नुकसान हुआ वह दिलाया जाए।

अपनी दुकान के साथ 55 वर्षीय रामप्रसाद मेघवाल
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