मंदिर के सामने से गुजरना दलित को पड़ा भारी, हुई पिटाई, दलितों ने मिलकर बनवाया था मंदिर!

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मैसूरु: देश में दलितों के साथ दुर्व्यवहार थमने का नाम नहीं ले रहा है। हर रोज देश के किसी ना किसी कोने से ऐसी खबर आ ही जाती है, जिसमें किसी पिछड़े वर्ग के लोगों के साथ मारपीट या बुरा बर्ताव होता है। अब एक बार फिर से एक ऐसी ही खबर सामने आई है। कर्नाटक में एक दलित युवक के साथ बस इसलिए मारपीट की गई क्योंकि उसने मंदिर के सामने से गुजर रही एक सार्वजनिक सड़क का इस्तेमाल कर लिया।

क्या है पूरा मामला…

ये मामला कर्नाटक के मैसूर जिले का है। मैसूर जिले के एक गांव में 29 वर्षीय दलित युवक को सिर्फ इसलिए पीटा गया क्योंकि उसने एक नवनिर्मित मंदिर को जोड़ने वाली सार्वजनिक सड़क का इस्तेमाल कर लिया। जी हां, एक लिंगायत-बहुल अन्नूर होशाहल्ली गांव में एक दलित युवक को इसलिए पीटा गया कि वह एक मंदिर के सामने सरकार की ओर से बनाई गई, सार्वजनिक सड़क का इस्तेमाल कर रहा था। बता दें कि पीड़ित की पहचान महेश के रूप में हुई है।

महेश यहां कि अनुसूचित जाति से आते हैं। गौरतलब है कि युवक महेश अपने एक दोस्त के साथ मोटर साइकिल पर जा रहा था। अचानक उसे उस रास्ते पर पड़ने वाले शिव मंदिर के पास कुछ लोगों ने रोक लिया। उसके बाद उन लोगों ने महेश को कथित तौर पर पीटा। महेश के साथ मारपीट करने वाले ये लोग लिंगायत समुदाय के थे।

लिंगायतों और दलितों ने मिलकर बनाया मंदिर…

जिस शिव मंदिर के सामने से गुजर रहे सार्वजनि रास्ते का इस्तेमाल करने पर महेश के साथ मारपीट की गई वो मंदिर भी दो जातियों ने मिलकर ही बनाया था। ये दावा खुद पीड़ित महेश ने ही किया है। एक मीडिया चैनल से बात करने के दौरान महेश ने कहा था कि आज से पांच साल पहले इस गांव के लिंगायतों व दलितों ने मिल कर ये शिव मंदिर बनाया। लिंगायतों और दलितों दोनों ने ही इस मंदिर के निर्माण के लिए पैसे दिए थे। दोनों ने ही श्रमदान किया, दोनों की बराबर की हिस्सेदारी थी। इस मंदिर के निर्माण में दलितों का भी उतना योगदान रहा था लेकिन मंदिर बनने के बाद लिंगायतों ने हमें बाहर कर दिया।

महेश ने कहा कि मंदिर बनने के बाद लिंगायतो ने दलितों से कहा कि वो इस शिव मंदिर से दूर रहें। दलितों को मंदिर में जाने से रोक दिया गया। जब भी इस पर दलितों ने सवाल उठाए हैं तब तब उनसे मारपीट की गई। महेश ने बताया कि लिंगायत समुदाय के लोगों ने दलितों से कहा कि वे मंदिर के सामने की सड़क से न गुजरें। भय और इस मारपीट के चलते ज़्यादातर दलितों ने इसे मान भी लिया है। लेकिन मैंने इसे नहीं माना क्योंकि हमारा भी इस मंदिर पर उतना ही हक है, जितना लिंगायतों का है।

सरकारी सड़क के इस्तेमाल पर मारपीट…

वैसे तो सरकार की तरफ से बनाई गई किसी भी सड़क पर देश का हर नागरिक चलने का अधिकार रखता है लेकिन कर्नाटक में शायद ऐसा नहीं है, तभी तो एक 29 वर्षीय युवक को एक सरकारी सड़क का इस्तेमाल करने पर पीटा गया।

पीड़ित महेश ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि मैं एक दिन अपने दोस्त के साथ मोटर साइकिल से जा रहा था तो लोगों ने मुझे रोका और कहा कि मैं इस सड़क से न जाऊं। जब मैंने इसका कारण पूछा तो उन लोगों ने मुझे पीटा। मेरे साथ हाथापाई की और ये लोग गांव के ही लिंगायत समुदाय के लोग हैं।

केस हुआ दर्ज…

बता दें कि दलित युवक महेश से मारपीट के मामले में जांच शुरु हो गई है। इस मामले में तीन लोगों को गिरफ़्तार किया गया है। इसके साथ ही पुलिस ने  11 लोगों के ख़िलाफ़ मामला दायर किया है।

लिंगायतो का वर्चस्व…

आपको बता दें कि अन्नूर होशाहल्ली गांव में लिंगायत समुदाय का वर्चस्व है। इस गांव में लगभग तीन सौ घर लिंगायतों के और 35 दलितों के हैं। वैसे तो पूरे कर्नाटक में लिंगायत व वोक्कालिगा दो बड़ी और महत्वपूर्ण जातियां हैं। समाज के सभी बड़े क्षेत्र राजनीति, शिक्षा, व्यवसाय, खेती-बाड़ी, नौकरी समेत सभी क्षेत्रों पर इनका दबदबा है। ये दोनों जातियां वर्चस्व के लिए आपस में भिड़ती रहती हैं, पर इन दोनों ही जातियों के लोगों पर अनसूचित जातियों व जनजातियों के लोगों के उत्पीड़न व भेदवभाव के आरोप लगते रहते हैं। जब भी निचले वर्ग को प्रताड़ित करने की बात आती है तो दोनों वर्ग एक होकर इस काम को अंजाम देते हैं। इस वर्चस्व की लड़ाई में शोषण सबसे ज्यादा अनसूचित जातियों व जनजातियों का ही होता है।

फिलहाल इस मामले की जांच चल रही है और पुलिस से उम्मीद है कि जल्द ही पीड़ितों को न्याय दिलवाएगी।

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