Dalit PhD Scholar and Student Leader Booked Over Rafale Deal Post
राफेल सौदे पर पोस्ट करने पर दलित पीएचडी छात्र और छात्र नेता के खिलाफ केस दर्जग्राफिक- राजन चौधरी, द मूकनायक

राफेल डील पर सवाल उठाने की सजा! दलित छात्र नेता पर केस दर्ज — जानिए पूरा मामला

राफेल डील पर केंद्र सरकार से जवाब मांगने वाले दलित पीएचडी छात्र नेता के खिलाफ पुलिस ने दर्ज किया केस, देशभर में छात्र संगठनों का विरोध
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प्रयागराज (इलाहाबाद), उत्तर प्रदेश — इलाहाबाद विश्वविद्यालय के एक दलित पीएचडी शोधार्थी और छात्र नेता मनीष कुमार के खिलाफ उत्तर प्रदेश पुलिस ने सोशल मीडिया पर राफेल लड़ाकू विमान सौदे को लेकर केंद्र सरकार पर सवाल उठाने के मामले में केस दर्ज किया है।

मनीष कुमार, जो अखिल भारतीय छात्र संघ (AISA) के उत्तर प्रदेश राज्य अध्यक्ष हैं, ने फेसबुक पर पोस्ट कर राफेल सौदे और पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान संघर्ष में हुए कथित नुकसानों को लेकर सवाल उठाए। इस आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत हुई थी।

अपने पोस्ट में मनीष ने लिखा, “मोदी सरकार ने अब तक उन खबरों का खंडन क्यों नहीं किया जिनमें दावा किया जा रहा है कि संघर्ष के दौरान भारत ने कई राफेल जेट गंवाए? इस पर अब तक कोई पारदर्शिता या स्पष्टता क्यों नहीं दी गई?”

14 मई को पुलिस ने मनीष के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 353(2) और सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम की धारा 67 के तहत एफआईआर दर्ज की। ये धाराएँ ऐसे बयानों और ऑनलाइन सामग्री से जुड़ी हैं, जिन्हें भड़काऊ, आपत्तिजनक या भ्रामक माना जाता है।

पुलिस ने इन धाराओं के तहत दर्ज केस का कारण स्पष्ट रूप से नहीं बताया है, लेकिन कार्यकर्ताओं और छात्र संगठनों का कहना है कि इस तरह की कार्रवाई शैक्षणिक संस्थानों में बहस और असहमति के अधिकार को खतरे में डालती है।

फिलहाल मनीष की गिरफ्तारी नहीं हुई है, लेकिन कानूनी प्रक्रिया जारी है। क्लैरियन इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, कई हिंदुत्वपंथी समूह इस एफआईआर को अदालत में चुनौती देने की तैयारी कर रहे हैं, उनका कहना है कि यह संविधान द्वारा प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन है।

AISA ने एक बयान जारी कर एफआईआर की निंदा करते हुए कहा, “कॉमरेड मनीष के खिलाफ दर्ज एफआईआर कोई अपवाद नहीं है। यह पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद पूरे देश में असहमति पर किए जा रहे हमले का हिस्सा है। जम्मू-कश्मीर में ही 3,000 से अधिक गिरफ्तारियां हुई हैं।”

बयान में आगे कहा गया कि असम में ‘प्रो-पाकिस्तान’ पोस्ट के लिए 42 लोगों को जेल भेजा गया, जबकि उत्तर प्रदेश में अब तक 30 गिरफ्तारियां और 40 एफआईआर दर्ज हुई हैं। AISA ने अपने बयान में कहा, “पूरे देश में छात्र, कलाकार और नागरिक निशाना बनाए जा रहे हैं। यह लोकतंत्र नहीं, बल्कि डर का शासन है

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