मध्यप्रदेश: पुलिस निगरानी में दलित दूल्हे ने मंदिर में किए दर्शन, गांव में विवाद के बाद शांतिपूर्ण निकली बारात

यह घटना संविधान निर्माता और समाज सुधारक डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती के दिन घटी। डॉ. अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल, 1891 को महू में हुआ था।
दलित दूल्हे की बारात/ फोटो - सांकेतिक
दलित दूल्हे की बारात/ फोटो - सांकेतिक
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इंदौर: मध्यप्रदेश के इंदौर जिले के महू के पास स्थित एक गांव में सोमवार को एक दलित दूल्हे ने पुलिस सुरक्षा में भगवान राम के मंदिर में पूजा-अर्चना की। यह घटना संविधान निर्माता और समाज सुधारक डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती के दिन घटी। डॉ. अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल, 1891 को महू में हुआ था।

प्रत्यक्षदर्शियों और सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो के अनुसार, दूल्हा अपने बारातियों और परिजनों के साथ महू से लगभग 25 किलोमीटर दूर स्थित संघवी गांव के मंदिर पहुंचा और वहां भगवान राम की पूजा की। इस दौरान पुलिस मौके पर मौजूद रही।

विवाद उस समय शुरू हुआ जब बारात पक्ष के कुछ लोगों ने मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश की मांग की, जहां परंपरानुसार केवल पुजारियों को ही जाने की अनुमति है। पुलिस अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि दूल्हे को मंदिर में प्रवेश से नहीं रोका गया था, बल्कि विवाद का केंद्र गर्भगृह में प्रवेश को लेकर था।

पुलिस द्वारा जारी आधिकारिक बयान में कहा गया,

संघवी गांव (थाना बेटमा क्षेत्र) में एक दलित दूल्हे को मंदिर में प्रवेश से रोके जाने की अफवाह सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही है, जो भ्रामक है। दूल्हा और उसके परिजनों ने मंदिर में दर्शन किए, इसके बाद बारात शांतिपूर्वक निकाली गई।

बयान में यह भी बताया गया कि सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और दोनों पक्षों को मंदिर की परंपराओं के बारे में समझाकर विवाद को शांत कराया।

बेटमा थाना प्रभारी मीना कर्णावत ने कहा,

संघवी गांव में अनुसूचित जाति के दूल्हे को मंदिर में प्रवेश से किसी ने नहीं रोका। बारात पक्ष मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करना चाह रहा था, जबकि वहां स्थानीय परंपरा के अनुसार केवल पुजारियों को ही जाने की अनुमति होती है। कोई भी श्रद्धालु गर्भगृह में नहीं जाता।

दूल्हा बलाई समुदाय से संबंधित बताया गया है। इस घटना पर अखिल भारतीय बलाई महासंघ के अध्यक्ष मनोज परमार ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा,

कुछ लोगों की संकीर्ण मानसिकता के कारण आज भी गांवों में हमारी जाति को भेदभाव का सामना करना पड़ता है। दलित समुदाय के दूल्हे को करीब दो घंटे की बहस के बाद पुलिस सुरक्षा में मंदिर में पूजा करने की अनुमति दी गई।

पूजा-अर्चना के बाद बारात अपने निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार शांतिपूर्वक आगे बढ़ गई।

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