कर्नाटक: दलित छात्रा ने सरकारी हॉस्टल में नवजात को जन्म दिया, दलित संगठनों ने विरोध जताया

सांकेतिक तस्वीर [फोटो स्रोत- इंटरनेट]
सांकेतिक तस्वीर [फोटो स्रोत- इंटरनेट]

कर्नाटक के चिकमगलूर में एक नाबालिग 10वीं की दलित छात्रा ने सरकारी छात्रावास में एक नवजात बच्चे को जन्म दिया है। इस मामले को लेकर दलित संगठनों ने विरोध जताया है। उनकी मांग है कि हॉस्टल वार्डन को बर्खास्त किया जाए और वार्डन के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाए। दलित संगठनों का आरोप है कि बच्ची ने सरकारी छात्रावास में जन्म दिया है। संगठन इसे लेकर लगातार हॉस्टल प्रशासन पर हमलावर है। हालांकि पुलिस ने इस मामले में पॉक्सो में मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

जानिए क्या है पूरा मामला?

कर्नाटक के चिकमगलूर में एक नाबालिग 10वीं की छात्रा ने सरकारी छात्रावास में एक नवजात बच्चे को जन्म दिया है। दलित संघर्ष समिति (डीएसएस) सहित अन्य संगठनों ने आरोप लगाया कि यह घटना एक गर्ल्स हॉस्टल में हुई है, जहां लगभग 200 छात्राएं रहती हैं। समाज कल्याण अधिकारी ने दावा किया कि युवती ने अपने पेट पर कपड़े लपेट रखा था, इसलिए गर्भावस्था की पहचान नहीं हो पाईं। पुलिस ने इस संबंध में पॉक्सो का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

समिति ने कहा क‍ि हर तीन महीने में एक बार लड़कियों के स्वास्थ्य की स्थिति की जांच होनी चाहिए। यदि अधिकारियों ने इस नियम का पालन किया होता तो यह घटना बहुत पहले ही सामने आ जाती। इसके बजाय अधिकारियों ने हॉस्‍टल में प्रसव की सुविधा दी।

समाज कल्याण के अधिकारियों के खिलाफ भी एफआईआर की मांग

संगठनों ने समाज कल्याण अधिकारी और गर्ल्स हॉस्टल की वार्डन के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की है। उन्होंने दोनों को बर्खास्त करने की मांग की।

महिला छात्रावास में पुरुष वार्डन होने पर जताई आपत्ति

दलित संगठन के एक कार्यकर्ता ने कहा, "यह बात सामने आई है कि PUC में पढ़ने वाली एक लड़की ने चिकमगलूर के एक सरकारी हॉस्टल वार्ड में बच्चे को जन्म दिया है। ये समस्या तब पैदा होती है जब आपके पास महिला छात्रावास में पुरुष वार्डन होता है। सरकार को जिला समाज अधिकारी को पद के लिए अनुपयुक्त समझना चाहिए।"

सूरत से भी सामने आया ऐसा ही मामला

इससे पहले गुजरात के सूरत शहर से भी कुछ ऐसा ही मामला सामने आया था। दरअसल सूरत में 15 वर्षीय एक लड़की ने एक नवजात बच्चे को जन्म दिया। इसके बाद उस नवजात को एक बिल्डिंग से फेंक दिया। नवजात की मौत के आरोप में लड़की को हिरासत में लिया गया। शुरुआती जांच में पता चला कि लड़की के 20 साल के एक युवक के साथ संबंध थे।

इस मामले को लेकर पुलिस अधीक्षक सागर बागमार ने बताया था कि, शहर के मगदल्ला इलाके में लोगों ने एक घायल नवजात को सड़क पर पड़ा देखा। डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। जांच में खुलासा हुआ कि नवजात को एक इमारत से फेंका गया था और सीसीटीवी फुटेज में भी इसकी पुष्टि हुई है। उस लड़की के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 315 (बच्चे को जिंदा पैदा होने से रोकने या उसके जन्म के बाद उसकी मौत का कारण बनने के इरादे से किया गया कृत्य) के तहत मामला दर्ज किया गया है। मामले में डीसीपी ने कहा कि, 20 वर्षीय युवक के खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

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