महाराष्ट्र : 100 दलितों ने लिया गांव छोड़ने का फैसला कहा “सवर्णों ने गाँव छोड़ने को किया मजबूर”

महाराष्ट्र : 100 दलितों ने लिया गांव छोड़ने का फैसला कहा “सवर्णों ने गाँव छोड़ने को किया मजबूर”
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सृष्टि
संवाददाता, द मूकनायक
भारत मे चाहे लोग जितने भी मॉडर्न हो गए हो लेकिन जात-पात को भुलाने में आज भी असमर्थ है। महात्मा ज्योतिबा फुले, छत्रपति शाहू जी महाराज और बाबासाहब अम्बेडकर के महाराष्ट्र में दलितों के साथ हुई बर्बरता शर्मसार कर देने वाली है। अमरावती जिले के चांदूर रेलवे तहसील दानापुर इलाके में जातिगत भेद भाव के चलते 100 दलितों को गांव छोड़ना पड़ा। पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है।

यह है पूरा मामला

ऑल इंडिया पंथर सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष दीपक केदार ने हमारे साथ कुछ वीडियो साझा किए जिनके मुताबिक विवाद की पूरी जड़ खेतों की तरफ जाता रास्ता है। पीड़ित शिवा शाहदेव सांगने जब उस रास्ते से ट्रैक्टर लेकर जा रहे थे तो आरोपियों ने उन्हें रोक लिया। इसकी शिकायत पीड़ित ने पुलिस को की थी। अगले दिन सवर्णों ने पीड़ित के सोयाबीन के खेत में आग लगा दी, सारी फसल जल कर राख हो गई।

गांव छोड़ने को मजबूर दलित समाज

वीडियो के मुताबिक दलितों का यह आरोप है की पुलिस ने शिकायत दर्ज करने के बावजूद भी आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया। बाद में दवाब पड़ने पर आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। दलितों का कहना है की "प्रशासन ने तुरंत कार्यवाही न करते हुए हमारे साथ एक प्रकार का अत्याचार किया है। इस अत्याचार से परेशान होकर हमने फैसला किया की इस गांव में रहकर कोई फायदा नहीं है।"

उन्होंने आगे बताया की "सवर्णों ने हमें गांव छोड़ने के लिए मजबूर किया। गांव के नजदीक तालाब के पास हमने डेरा जमा लिया जिसके बाद पुलिस प्रशासन ने उन्हें मौखिक आश्वासन दिया की आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा साथ ही पीड़ित को मुआवजा भी दिया जाएगा।"

मारपीट और छेड़छाड़ का आरोप

नवभारत टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक दलित समाज का यह आरोप है कि इस रास्ते का इस्तेमाल करने से गांव के सवर्ण नाराज हो जाते है। कई बार उन्होंने इस बात को लेकर दलितों के साथ गालीगलौज और मारपीट भी की है। उनके लड़के दलित नाबालिग लड़कियों के साथ छेड़छाड़ भी करते है। गांव में ऐसी घटनाएं पिछले 6 महीने से हो रही है।

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