छतीसगढ़: 'ईंट-भट्ठे' में काम कर क्वालीफाई की 'नीट', बनेगी डॉक्टर!

21 साल की यमुना चक्रधारी पिछले तीन साल से नीट पास करने की कोशिश कर रही थी। चौथे प्रयास में उन्होंने एग्जाम पास कर लिया।
छतीसगढ़: 'ईंट-भट्ठे' में काम कर क्वालीफाई की 'नीट', बनेगी डॉक्टर!

छत्तीसगढ़। दुर्ग जिले के उत्तैई में ईंट भट्ठे पर काम करने वाली मजदूर की बेटी ने नीट (नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट) परीक्षा में अपना परचम लहरा दिया है। 21 साल की यमुना चक्रधारी पिछले तीन साल से नीट पास करने की कोशिश कर रही थी। चौथे प्रयास में उन्होंने एग्जाम पास कर लिया। उन्होंने 720 में से 516 अंक प्राप्त किए। यमुना ने ऑल इंडिया रैंक 93683 हासिल की और उनकी ओबीसी कैटेगरी में 42864 रैंक है।

द मूकनायक प्रतिनिधि से बात करते हुए यमुना ने बताया, "मैं पिछले 4 साल से नीट की तैयारी कर रही थी। 2019-20 में कोचिंग ली थी। इस दौरान कोरोना के कारण कोचिंग छोड़नी पड़ी। जब यह कठिन समय निकला तो एक बार फिर से कोचिंग की। मेरी कोचिंग का खर्चा भामाशाह डॉ. एके चंद्राकर ने उठाया। वह चंद्र कॉलेज के पूर्व डायरेक्टर है। अब उनकी उत्तैई गांव में एक छोटी क्लिनिक है।"

यमुना अपने घर की परिस्थिति बताते हुए कहती हैं, "पापा के साथ बचपन से ही ईंट-भट्टे पर काम कर रही हूं। स्कूल जाने के साथ-साथ यह काम भी करती थी। जब थोड़ा सा फ्री टाइम मिलता था तो मन लगा कर पढ़ाई करती थी। मैंने कोई स्पेसिफिक टाइम टेबल फॉलो नहीं किया। 2 साल कोविड के वजह से ग्रेजुएशन की पढ़ाई ऑनलाइन ही हुई। फ्री टाइम खुद से नीट की पढ़ाई की। कोई खास टाइम टेबल नहीं था जब फ्री होती थी, तब मन लगा कर पढ़ लेती थी।"

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यमुना ने बताया कि नीट की तैयारी के दौरान कई मुश्किलें सामने आईं। कभी अच्छे टीचर्स तो कभी अच्छी पुस्तकें नहीं उपलब्ध हो पाती थीं। कई बार मुझे समय ही नहीं मिल पाता था। इस दौरान टेस्ट सीरीज भी छूट जाती थी, जिससे मेरा अभ्यास प्रभावित होता था।

जानकारी के मुताबिक यमुना ने अपनी नीट की तैयारी के साथ ही दानवीर तुलुराम पोस्ट ग्रेजुएशन सरकारी कॉलेज से बीएससी की पढ़ाई की है। इसमें उन्होंने प्रथम श्रेणी में परीक्षा उत्तीर्ण क़ी। आगे की पढ़ाई और एडमिशन के लिए दुर्ग जिले के सांसद विजय भागेल और श्रम विभाग से श्रद्धा केसरवानी ने यमुना को वित्तीय सहायता का आश्वासन दिया है। उन्होंने अपनी सफलता का योगदान अपनी बायोलॉजी टीचर किरण शर्मा, प्रिंसिपल और अपने कोचिंग सेंटर "रैंकर्स कोटा" को दिया है।

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