'सारे जहां से अच्छा हिंदुस्ता हमारा...' के लेखक शायर इकबाल डीयू सिलेबस से बाहर

विवि के एग्जीक्यूटिव काउंसिल की मंजूरी के बाद इक़बाल को पोलिटिकल साइंस के स्नातक सिलेबस से हटा दिया जाएगा
शायर इकबाल
शायर इकबाल

दिल्ली विश्वविद्यालय की अकादमिक परिषद ने 26 मई को पाठ्यक्रम से जुड़े कई बदलाव किए। यूनिवर्सिटी के बीए प्रोग्राम से मशहूर शायर मोहम्मद इक़बाल का नाम मिटाने का फैसला किया गया है। अब डीयू स्टूडेंट्स को शायर इक़बाल के बारे में नहीं पढ़ाया जाएगा। बीए पॉलिटिकल साइंस के सिलेबस में अबतक इक़बाल को पढ़ाया जाता रहा है। दिल्ली यूनिवर्सिटी एग्जीक्यूटिव काउंसिल के अप्रूवल के बाद इक़बाल को सिलेबस से हटा दिया जाएगा। एकेडमिक काउंसिल ने कुछ अन्य प्रस्तावों को भी मंजूरी दी है। आपको बता दें हाल ही में दिल्ली विवि ने दर्शनशास्त्र विषय से डॉ भीमराव अंबेडकर का पाठ हटाने का प्रस्ताव रखा था जिसको लेकर  दर्शन शास्त्र विभाग की फैकल्टी ने आपत्ति की थी।

कौन है शायर इकबाल?

इक़बाल उर्दू और फारसी के मशहूर शायर थे। आजादी दिवस के मौके पर बड़े स्तर पर सुना जाने वाला ‘सारे जहां से अच्छा, हिंदुस्तां हमारा’ गीत इक़बाल का ही लिखा हुआ है। इक़बाल को पाकिस्तान का राष्ट्रीय शायर कहा जाता है। भारत के विभाजन और पाकिस्तान की स्थापना का विचार सबसे पहले इक़बाल ने ही उठाया था। 1930 में उन्हीं के नेतृत्व में मुस्लिम लीग ने सबसे पहले भारत के विभाजन की माँग उठाई। इसके बाद उन्होंने मुहम्मद अली जिन्ना को भी मुस्लिम लीग में शामिल होने के लिए प्रेरित किया और उनके साथ पाकिस्तान की स्थापना के लिए काम किया। सारे जहाँ से अच्छा या तराना-ए-हिन्दी उर्दू भाषा में लिखी गई देशप्रेम की एक ग़ज़ल है जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान ब्रिटिश राज के विरोध का प्रतीक बनी और जिसे आज भी देश-भक्ति के गीत के रूप में भारत में गाया जाता है। इसे अनौपचारिक रूप से भारत के राष्ट्रीय गीत का दर्जा प्राप्त है।

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"सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा" गीत इकबाल ने 1904 में लिखा था और सबसे पहले सरकारी कालेज, लाहौर में पढ़कर सुनाया था। यह इक़बाल की रचना बंग-ए-दारा में शामिल है। उस समय इक़बाल लाहौर के सरकारी कालेज में व्याख्याता थे। उन्हें लाला हरदयाल ने एक सम्मेलन की अध्यक्षता करने का निमंत्रण दिया। इक़बाल ने भाषण देने के बजाय यह ग़ज़ल पूरी उमंग से गाकर सुनाई। यह ग़ज़ल हिन्दुस्तान की तारीफ़ में लिखी गई है और अलग-अलग सम्प्रदायों के लोगों के बीच भाई-चारे की भावना बढ़ाने को प्रोत्साहित करती है। जब इंदिरा गांधी ने भारत के प्रथम अंतरिक्षयात्री राकेश शर्मा से पूछा कि अंतरिक्ष से भारत कैसा दिखता है, तो शर्मा ने इस गीत की पहली पंक्ति कही।

विभाजन, हिंदू और आदिवासियों पर बनेगा केंद्र

एकेडमिक काउंसिल के सामने पार्टिशन स्टडीज, हिंदू स्टडीज और ट्रायबल स्टडीज पर अलग से केंद्र बनाने का प्रस्ताव पेश किया गया था। काउंसिल ने अब इसे अप्रूव कर दिया है। बीए पॉलिटिकल साइंस के सिलेबस के ‘मॉडर्न इंडियन पॉलिटिकल थॉट’ चैप्टर में इक़बाल के बारे में विस्तार से पढ़ाया जाता था। यह चैप्टर कोर्स के छठे सेमेस्टर में पढ़ाया जाता था। पार्टिशन स्टडीज यानी विभाजन के बारे में एक केंद्र स्थापित करने का एकेडमिक काउंसिल के पांच सदस्यों ने विरोध किया. इस काउंसिल में 100 सदस्य हैं.

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डीयू एकेडमिक काउंसिल पांच सदस्यों ने पार्टिशन स्टडीज को असल में विभाजनकारी बताया। केंद्र खासतौर पर पिछले 1300 सालों में आक्रमणों, पीड़ा और गुलामी के बारे में स्टडी करेगा। एक बयान में कहा गया है कि 1300 सालों के इतिहास पर चर्चा सांप्रदायिक भाषणों का अवसर प्रदान करेगा।

फिलॉसफी के बीए कोर्स को मंजूरी

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अकादमिक काउंसिल ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत अंडर ग्रैजुएट कोर्स ओके सेमेस्टर 4, 5, 6 के नए सिलेबस पास किए। यूजी कोर्स के पॉलिटिकल साइंस के सिलेबस से मोहम्मद इकबाल को हटा दिया है। बीसी प्रोफेसर योगेश सिंह ने कहा है कि भारत को तोड़ने की नींव डालने वाले को सिलेबस में नहीं होना चाहिए। भारत के विभाजन और पाकिस्तान की स्थापना का विचार सबसे पहले इकबाल ने ही उठाया था। बैठक में फिलॉसफी के प्रस्तावित बी ए कोर्स को मंजूरी दी गई। जिसमें डॉक्टर अंबेडकर, महात्मा गांधी, स्वामी विवेकानंद का दर्शन भी शामिल किया है। वीसी ने विभाग हेड सावित्रीबाई फूले को भी सिलेबस में शामिल करने की संभावनाएं तलाशने को कहा है।

मिलेंगे नए मौके

  • सेशन 2023-24 से ही नए कोर्स शुरू किए जा रहे हैं।

  • बीटेक के तीन एल एल बी के दो और टीचर ट्रेनिंग का एक नया कोर्स चलेगा।

  • विभाजन और जनजाति अध्ययन के लिए 92 नए स्टडी सेंटर भी बनाए जाएंगे।

एबीवीपी ने किया निर्णय का स्वागत

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार एक बयान में एबीवीपी (अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद) ने पॉलिटिकल साइंस के सिलेबस से इक़बाल को हटाने के फैसले का स्वागत किया है। एबीवीपी ने इक़बाल को कट्टर धार्मिक विद्वान बताया, जिसे पाकिस्तान का ‘फिलिसोफिकल फादर’ कहा जाता है. मुस्लिम लीग में जिन्ना को खड़ा करने के पीछे इक़बाल का ही हाथ था। एबीवीपी ने कहा कि मोहम्मद अली जिन्ना की ही तरह मोहम्मद इक़बाल भी भारत के विभाजन के लिए जिम्मेदार है।

पांच सदस्यों ने किया विरोध

अकादमिक परिषद में 100 सदस्य हैं। इकबाल को सिलेबस से हटाने पर गहन मंथन हुआ। पांच सदस्यों ने विभाग अध्ययन पर प्रस्ताव का विरोध किया था। इसे विभाजनकारी बताया। सदस्यों ने कहा कि इसका उद्देश्य बताता है कि केंद्र 1300 वर्षों में पिछले आक्रमणों, पीड़ा और गुलामी का अध्ययन करेगा। यह आक्रामक, सांप्रदायिक रूप से विभाजनकारी और बौद्धिक रूप से सुसंगत है।

एनसीआरटी ने हटाये थे पाठ

पाठों को हटाने का सिलसिला विश्वविद्यालयों में ही नहीं स्कूलों में भी चल रहा है।।इससे पहले एनसीआरटी में भी कुछ दिन पूर्व पाठ्यक्रम से कुछ पाठ हटाए। एनसीईआरटी ने हाल ही में इतिहास की किताबों में कुछ अंशों को भी हटा दिया था। खासकर 12वीं कक्षा की पाठ्यपुस्तक से मुगलों और 11वीं कक्षा की किताब से उपनिवेशवाद से संबंधित कुछ अंश को हटाया गया था। इसके अलावा महात्मा गांधी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े कुछ तथ्य भी पुस्तकों से हटाए गए थे।

इसके बाद एनसीईआरटी ने कक्षा 9 और 10 के साइंस के सिलेबस से दुनिया के सबसे महान वैज्ञानिकों में से एक चार्ल्स डार्विन की इवोल्यूशन थ्योरी को हटाने का फैसला किया था।

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